विश्व शांति संधि लक्ष्य के मार्ग पर परीक्षा एवम अनुभव - अविनाश पाठक। 816 गुरुवार गुरु के लिए
पृथ्वी पर हर मानव का कोई न कोई गुरु ज़रूर है, मानव जाति सीख ही नही सकती बिना गुरु, सनातन संस्कृति में जीवन के 16 संस्कार में गुरु दीक्षा सबसे जरुरी होती है। यानि जब हम शिक्षा आरंभ करते हैं। मेरी गुरु दीक्षा शिवरात्रि 2009 12 वर्ष की आयु में हुई, कर्म याद रखने के लिए जनेऊ की जगह कलम ली थी तो मेरे साथ कलम हर समय देखेंगे। तब से आज ये मेरा 816 व गुरुवार है 15, 7 महीने साल से हर दिन जप, सत्य का प्रयोग, और हर गुरुवार गुरु का दीया हुआ लक्ष्य के लिए कार्य करता हूं। उसके पहले में गांव में बड़ियां खेलता पढ़ता, मित्र मंडली के साथ घूमना फिरना था, लक्ष्य आकार 12.12.12 - ये वो तारीक थी जब सुबह अखबार में प्रकाशित हुई की कभी भी अब ये नही आना , उस दिन लीडरशिप पर एक दिवसीय कार्य था और 12.12 पर समय देखकर मैंने विश्व शांती संधि की सपठ ली और UHO के विचार जन्म हुआ। में 10 वी का छात्र मात्र था पर गुरु कृपा से मुझे पता था क्या करना था। कैसे होगा मुझे भी पता नही था । हा पूरी दुनिया के लिए करूंगा तय हो चुका था लक्ष्य दिशा -2013 हॉस्टल में रहता था रविवार को केवल क...