अधर्मी की पहचान कैसे हो जाती है । ~ अविनाश पाठक




ये सवाल जरूर आता है अगर आप स्वयं के लिए चिंतन करते है 
ये पर याद नहीं रखना 
 धर्म तुम्हारे कर्मों में दिख जायेगा 
अधर्म तुम्हारे कर्मों में दिख जायेगा 
उच्च आपको कर्म बनाते है , नीच भी कर्म 

जो तामसिक कर्म करता है वह नीच है चाहे वह ब्राह्मण कुल में ही क्यों न जन्मा हो 

जो भी मांस,मदिरा,जुआ, मत्सर (ईर्ष्या,निंदा)
युवा, गुटका धूम्रपान कर रहा है वह अधर्मी ही है।

आपके बच्चे अगर, ये सब नहीं करते है तो समझ लेना आप पर ईश्वर की कृपा निश्चित है। आपके यहां धर्म है। ईश्वर ने आपको सात्विक गुण का आशीर्वाद दिया है। 

राजसिक लोग, लोभ लालच में प्रतियोगिता भाव में जीते है
तामसिक लोग तो इतने अधर्मी हो जाते है धन के लिए रिश्ते, मर्यादा,
कुछ भी समझ ही आता 



सत्य और युवा + 
© अविनाश पाठक