संत और संत भेषी मे फरक कैसे करे....... श्री हनुमान जी प्रसंग | पंडित अविनाश पाठक
हनुमान जी जब संजीवनी लेने जा रहे थे तब राक्षस संत भेष में आ गया, राम राम भजन करने लगा कहने लगा जोर से कर रहा था, हनुमान जी तो राम रसिक थे ही पास चले गये, पर कर्म से सामने आते ही असली रूप सामने आ गया ये हर युग में हुआ आज भी होता है, संत के रूप मे अच्छे वस्त्रों मे, मीठे बचनो मे कपटी भी घूमते है पर सत्य से और उनके कर्म ही बता पाते है।
श्री हनुमान जी और वेदो से जुड़े प्रसंग हर मंगलवार
© पंडित अविनाश पाठक जी के कलम
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